कुंडली में दूसरे विवाह का योग: जानें कैसे बनते हैं ये योग और उसके उपाय

विवाह जीवन एक महत्वपूर्ण पहलू है जो हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मनुष्य के जीवन में विवाह के संस्कार महत्वपूर्ण होते हैं और इसे विवाह योग कहा जाता है। विवाह योग के अभाव में विवाह के बाद विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, ज्योतिष शास्त्र में विवाह योग के महत्व को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है।

आपने देखा होगा कि मनुष्य के 16 संस्कार होते हैं। मनुष्य जब पैदा होता है और उसके जब वह आखिरी यात्रा होती है, इसके बीच में शिक्षा, जनेऊ, मुंडन जैसे संस्कार होते हैं। तो कुल मिलाकर 16 संस्कार होते हैं। इसमें विवाह संस्कार भी होता है, जो कि देश पात्र काल के हिसाब से बड़ा महत्वपूर्ण होता है। अगर किसी कारण वंश हमारी कुंडली में यह संस्कार नहीं मिलता है, तो इससे प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है।

दो विवाह और ज्योतिष

आज हम आपको शास्त्रों के अनुसार विवाह योग कैसे बनते हैं, दो विवाह योग कैसे बनते हैं, इस विषय में चर्चा करेंगे| समय-समय पर ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण होता है, ताकि हमें ऊंच का और नीच का, स्पाउस के स्वामी का पता चल सके। इससे हम बेहतर डिस्कस कर सकें और सही निर्णय ले सकें। जैसे कि सप्तम भाव जो हमें परिणाम में मदद कर सकता है।

विवाह योग के अलावा, ज्योतिष में दो विवाह के बारे में भी चर्चा होती है।दो विवाह का अर्थ होता है एक से अधिक विवाह करना, जो किसी कारण वश या कुंडली में योग के अभाव के कारण हो सकता है। यह विवाह जीवन में संघर्ष और असंतोष का कारण बन सकता है।विवाह के बाद यदि पति या पत्नी बीमार हो जाते हैं, तो इसका ज्योतिषीय परिणाम भी होता है। कुछ योग और दशा इसे प्रभावित कर सकते हैं। यह बीमारियाँ शारीरिक और मानसिक दोनों हो सकती हैं।

विवाह योग

इन सभी विषयों पर ज्योतिष के नियमों का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है ताकि हम अपने जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए सही निर्णय ले सकें। ज्योतिष अपने विशेष अध्ययन के माध्यम से हमें विवाह और उसके बाद की समस्याओं को समझने में मदद कर सकता है, और हमें सही राह दिखा सकता है।

सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूं कि समय-समय पर ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे हमें यह पता चलता है कि कौन सा ग्रह किस भाव में है और उसका क्या प्रभाव होता है। ज्योतिष के द्वारा हम ऊंचे-नीचे ग्रहों, स्पाउस के स्वामी के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि किसी भी व्यक्ति का किस प्रकार का जीवन साथी हो सकता है।

ज्योतिष में सप्तम भाव स्पाउस का होता है, अर्थात् पति के लिए पत्नी का और पत्नी के लिए पति का। इसमें कुछ कॉमिनेशन होते हैं जैसे कि विवाह योग बन जाता है। यदि सप्तम भाव में ग्रह किसी अनुकूल स्थिति में होता है, तो विवाह योग बन जाता है।

विवाह योग की पहचान

अब जब भी किसी ग्रह का आठवां भाव या सप्तम भाव में चलना शुरू होता है, तो यह विवाह योग का सूचक होता है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति को दो बार विवाह हो सकता है। उसके बाद, दूसरे विवाह के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जिससे कि दूसरे विवाह का योग दूर हो सकता है। अगर सप्तम भाव का स्वामी किसी और घर में चला जाता है, तो विवाह योग बन जाता है। जब यह ग्रह सप्तम भाव में जाता है, तो ज्योतिष के अनुसार यह सूचित करता है कि व्यक्ति दूसरे विवाह के लिए तैयार है। इस प्रकार, ज्योतिष के द्वारा हम विवाह योग के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को उसी के अनुसार आगे बढ़ा सकते हैं।

धन के विषय में अगर हम बात नहीं कर रहे हैं, तो क्या होता है अगर सप्तमेश का संबंध पंचम भाव से आ गया? यदि ऐसा हो जाए, तो वह डेफिनेट दवा योग का रूप ले लेता है। जब ग्रह अपने अद्वितीय स्थान पर लौट आते हैं, तो यह ईश्वर की एक योजना का हिस्सा बन जाता है। ऐसे में, हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है। अगर सप्तमेश किसी कारणवश वक्र हो जाए, तो फिर क्या होता है? अगर यह ग्रह नीच का हो, या सप्तम में सिक्स में चले, तो यह शुभ नहीं होता। इससे विवाहित जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसी प्रकार, जब कोई बृहस्पति की दृष्टि होती है, तो प्रभाव कम हो जाता है।

ऐसे में, आप देखेंगे कि जातक का संज्ञान कौन-कौन सी समस्याओं का हो सकता है। यदि सप्तमेश का स्थान स्थिर नहीं है, तो विवाहित जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अब आप अपनी कुंडली में इसे देख सकते हैं और इसके आधार पर आवश्यक कदम उठा सकते हैं। इस तरह के विचारों को समझना हमारे जीवन को सहज और सुखद बना सकता है। यहाँ पर ज्योतिष के गहरे तत्वों का विश्लेषण है, जो हमें अपने जीवन को संतुष्ट और समृद्ध बनाने में मदद कर सकता है। याद रखें, ज्योतिष का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण (role of astrology in our life ) योगदान होता है, जो हमें अपने आप को बेहतर समझने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मार्गदर्शन करता है।

जब विवाह होता है और सप्तम और अष्टम भाव में पाप ग्रह होते हैं, तो क्या होता है? यह विचार किसी ज्योतिषीय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। मंगल द्वादश भाव में क्यों होते हैं और उसका क्या महत्व है? आपके उपर यहां एक विस्तृत विवरण है:

  • अगर मंगल अपनी अष्टम दृष्टि (EIGHTH HOUSE) से सप्तम भाव को देख रहा है, तो वह विवाहित जीवन में संघर्ष और समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • अगर मंगल द्वादश भाव में है और सप्तमेश की सप्तम भाव में दृष्टि नहीं है, तो इसका मतलब है कि विवाह का भाव अपने घर को नहीं देख रहा है, जो कि कमजोरी का कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति में, पहली पत्नी की मृत्यु का खतरा हो सकता है और व्यक्ति को दूसरा विवाह करना पड़ सकता है।
  • अगर सप्तमेश और एकादश एक ही राशि में हैं या एक दूसरे पर दृष्टि रखते हैं, तो व्यक्ति के कई विवाह हो सकते हैं।
  • यदि सप्तम चतुर्थ भाव में हो और पाप ग्रह सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति कई विवाह हो सकते हैं।

समापन

विवाह योग पर जानकारी मिलने के बाद, अगर दो विवाह का योग दिखाई देता है, तो उपाय करके इसे दूर किया जा सकता है।यह उपाय विभिन्न हो सकते हैं, जैसे कि मंत्रों का जाप, दान-पुण्य, व्रत, और अन्य ज्योतिषीय उपाय। इ

न उपायों का अनुसरण करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख-शांति को स्थापित कर सकता है। इन उपायों का अनुसरण करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख-शांति को स्थापित कर सकता है और दूसरे विवाह के योग को दूर कर सकता है। इस प्रकार, ज्योतिष के माध्यम से हम अपने जीवन को समृद्ध और सुखमय बनाने के लिए उपाय कर सकते हैं।

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Frequently Asked Questions

क्या कुंडली में दूसरे विवाह का योग हो सकता है?

हाँ, कुंडली में दूसरे विवाह का योग हो सकता है, यह ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की स्थिति और दोषों के आधार पर पता चलता है।

दूसरे विवाह का योग पता करने के लिए कौन-कौन से प्रमुख उपाय होते हैं?

दूसरे विवाह का योग पता करने के लिए ग्रहों के उपाय, मंत्र, तंत्र, यंत्र, और ध्यान का उपयोग किया जा सकता है।

क्या होते हैं दूसरे विवाह के योग के प्रमुख संकेत?

कुंडली में दूसरे विवाह के योग के प्रमुख संकेत ग्रहों के अच्छे योग की अभाविता, दूसरी पत्नी के लिए सप्तम भाव में ग्रहों का स्थान हो सकता है।

ज्योतिष के अनुसार, दूसरे विवाह के योग से बचाव के लिए क्या किया जा सकता है?

दूसरे विवाह के योग से बचाव के लिए व्यक्ति चंद्र या गुरु ग्रह की प्रत्येक साढ़ेसाती, व्रत, यंत्र, मंत्र, और ध्यान का अनुसरण कर सकता है।

क्या ज्योतिष के अनुसार दूसरे विवाह का योग समाधान किया जा सकता है?

हाँ, ज्योतिष के अनुसार दूसरे विवाह का योग का समाधान किया जा सकता है| यह ग्रहों की स्थिति को संतुलित करने और उपायों का अनुसरण करके संभव होता है।